Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा राजवंशी |अनुवादक= |संग्रह=कं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेखा राजवंशी
|अनुवादक=
|संग्रह=कंगारूओं के देश में / रेखा राजवंशी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कंगारूओं के देश में
तुम आए
तुम्हारा स्वागत ।

भावों को शब्द मिले
हुए दूर कई गिले ।

सूने मन आँगन के
बिरवे में फूल खिले ।

बादल के आँचल में
मेघों के मन मचले ।

तुम आए तो जैसे
सूरज ने रुख बदले ।

रीता पल बुनने लगा
अर्थों की कनागत ।

कंगारूओं के देश में
तुम्हारा स्वागत ।
</poem>