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होमर / अलिक्सान्दर सिंकेविच / गिरधर राठी
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09:38, 30 जनवरी 2022
<poem>
एक अन्धा सतर्कता के साथ
ठकठकाता हुआ ज़मीन
बढ़ा
पर
जा रहा था
पटरी के किनारे-किनारे ।
अनिल जनविजय
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