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तिमी हुनुको (अंश - ३६) / इन्दिरा प्रसाई
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दुर्गन्धमा म छैन
र बास्ना कतै भेट्दिन पनि म ।
•••
(लामो कविता)
तिमी हुनुको
</poem>
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