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20:25, 10 मार्च 2022 {{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|संग्रह=
}}
[[Category:तुर्की भाषा]]
{{KKCatKavita}}
<poem>
बच्ची, तुम्हारा स्वागत !
अब तुम्हारी बारी है जीने की ।
तुम्हारे लिए वे बिछा रहे हैं चेचक, खसरा,
कुकुरखाँसी, मलेरिया, टीबी, कैंसर
और भी बहुत कुछ
भूचाल, बाढ़ें, सूखा, और भी बहुत कुछ
टुकड़ा-टुकड़ा दिल, पियक्कड़ी,
और भी बहुत कुछ
लाठियाँ, क़ैदख़ानों के दरवाज़े,
और भी बहुत कुछ ।
बच्ची, तुम्हारा स्वागत !
अब तुम्हारी बारी है जीने की ।
तुम्हारे लिए वे बिछा रहे हैं शोशलिज़्म-कम्युनिज़्म
और भी बहुत कुछ ।
''' अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल'''
</poem>