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|रचनाकार=एलिजाबेथ बैरेट ब्राउनिंग
|अनुवादक=सुधा तिवारी
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<poem>
'''पुर्तगाली भाषा से एक सॉनेट'''

तुम्हें कितना प्यार करती हूँ मैं ? गिनती हूँ कितनी तरह से करती हूँ प्यार ।
मैं करती हूँ प्यार तुम्हें उस गहराई और विस्तार और ऊँचाई की नोक तक
जहाँ पहुँच मेरी रूह हो जाती है विलीन
अस्तित्व और सौभाग्य के अन्तिम छोर पर ।

मैं करती हूं प्यार तुम्हें सूरज निकलने से लेकर दिया-बत्ती तक के
सबसे अव्यक्त ज़रूरतों की हद तक हर रोज़ ।
मैं प्यार करती हूँ तुम्हें हक़ के लिए संघर्षरत आदमी की तरह निर्बाध ।
मैं प्यार करती हूँ तुम्हें निष्कलंक, जैसे लोग विमुख हो जाते हैं प्रशंसा से ।

मैं प्यार करती हूँ तुम्हें
मेरे पुराने शोक में प्रयुक्त जुनून से, और शैशव के विश्वास में ।
मैं प्यार करती हूँ तुम्हें उस प्यार से जो
विस्मृत संतों के साथ ही गुमशुदा थी. मैं प्यार करती हूं तुम्हें मेरे जीवन के तमाम साँसों,

हंसी, आंसुओं से; और अगर ईश्वर की मर्जी हो
तो मैं तुम्हें बेहतर तरीके से करती रहूँगी प्यार मृत्यु के बाद भी ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधा तिवारी'''

'''लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी भाषा में पढ़िए'''
Elisabeth Barrett Browning
Sonnets from the Portuguese

How do I love thee? Let me count the ways.
I love thee to the depth and breadth and height
My soul can reach, when feeling out of sight
For the ends of being and ideal grace.

I love thee to the level of every day’s
Most quiet need, by sun and candle-light.
I love thee freely, as men strive for right;
I love thee purely, as they turn from praise.

I love thee with the passion put to use
In my old griefs, and with my childhood’s faith.
I love thee with a love I seemed to lose
With my lost saints. I love thee with the breath,

Smiles, tears, of all my life; and, if God choose,
I shall but love thee better after death.
</poem>
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