Changes

तहकीकात / संतोष अलेक्स

894 bytes added, 14:36, 18 मार्च 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
कल जिस लड़की के साथ
बलात्‍कार हुआ
वह शाम को वाइलिन बजा रही थी
उसे अपने पक्ष में कुछ कहना नहीं था

जाँच पड़‍ताल से पता चला कि
बलात्‍कार पुरूषों की टोली का हुआ
नदी तट पर पाए निशान
रति में लिप्‍त जानवरों के थे

तहकीकात के बाद
नदी पार कर उनके लौटने पर
चांद व तारों ने उगने से इन्‍कार कर दिया
</poem>
765
edits