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उसके बारे में / धूमिल
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10:46, 29 मार्च 2022
<poem>
पता नहीं कितनी रिक्तता थी-
जो भी
मुझमे
मुझमें
होकर
गुजरा
गुज़रा
-रीत गया पता नहीं कितना अन्धकार था
मुझमे
मुझमें
मैं सारी उम्र चमकने
की कोशिश में
बीत गया
Sharda suman
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