Changes

अफगानिस्‍तान / संतोष अलेक्स

1,580 bytes added, 05:30, 31 मार्च 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
(कमरान मीर हजार के लिए )  

शाम को बेटी को पढाने बैठा
अंग्रेजी किताब के पन्‍नों को पलटकर देखने पर
डायरी दिखाते हुए उसने कहा
अफगानिस्‍तान पर लेख तैयार करना है पापा

कुछ दिनों पहले अखबार में
अफगानिस्‍तान पर छपा लेख याद आया
उसपन्‍ने को संभालकर रखा भी था
याद करने की कोशिश की
इतने में वह फिर बोल पड़ी

पापा वहाँ तो बम गिर रहे हैं
स्‍कूल कॉलेज बंद हैं
वहाँ के बच्‍चों को भी पढने का हक हैं न ? 

मैं खामोश रहा
बेटी,मैं और कमरान
अफगानिस्‍तान के आकाश में
सूर्यकिरण विमानों के करतब के इंतज़ार मेंहैं

</poem>


</poem>
765
edits