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06:42, 31 मार्च 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
साल में एक बार
हमारा परिवार उन्हें याद करते हैं
उनकी मृत्यु मेरे जन्म से पहले हुई
वह वापिस आती रहती है बार- बार
ऐसा परिवारवालों का विश्वास है
कभी फूल बन
कभी हवा बन
कभी सुबह की नीरवता बन
कभी नन्हीं चिडि़या बन
आज उनकी पुण्य तिथि है
नई फूल माला चढाई जाती है
पूजा पाठ होता है
रिश्तेदार खा पीकर लौट जाते हैं
नानी का चेहरा
याद करने की कोशिश करता हूँ
सब कहते हैं
वह मेरी माँ जैसी दिखती थी
<poem>