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<poem>
पूरी दुनिया में फैल रहा
वू हान
फैल रही
भूमण्डलीकरण के बीमार होने की ख़बर
कोरोना की तरह

एक भी आणविक अस्त्र नहीं चला
शहर के शहर तबाह हो गए

जीत ही लेता दिमाग
दुनिया भर को
अपनी ही देह से मगर
हार गया

वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं ने
जारी किए शोध के नये ब्यौरे
आदमी के
मनुष्य होने की बात
झूठ निकली है
सभ्यता की देह में
रूहें चमगादड़ की निकली हैं

मृतक लौटते हैं जब जब
आकाश में दिखाई देते हैं चमगादड़
जीवित लोगों का रक्त पीते हैं
वायरस के ख़ात्मे के लिए

सभ्यता को
वैक्सीन की डोज़ की तरह
अर्थतंत्र के अस्पताल से
ग़रीबों में मुफ़्त बाँटा जा रहा है

सभ्यता को बचाने की
आख़िरी कोशिश की तरह
</poem>
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