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10:59, 17 अप्रैल 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मरीने पित्रोस्यान
|अनुवादक=उदयन वाजपेयी
|संग्रह=
}}
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<poem>
हर कोई क्यों
दौड़ा जा रहा है
बात करने को
कोई बात नहीं है ।
हमने इतनी सारी
नहरें खोदीं
इतने सारे पेड़ लगाये
इतने सारे शहर बसाये
लेकिन तब भी लोग भूखे हैं
वे पैसा कमाने दौड़े जा रहे हैं
जितना रईस हो देश
उतना तेज़ दौड़ता है
दिन-ब-दिन
तेज़, और तेज़ दौड़ता है
बात करने को कोई बात नहीं
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उदयन वाजपेयी'''
</poem>
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