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{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
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<Poem>
इन्तज़ार करो कि पेड़ बड़ा हो जाए : फिर उसे काट डालो
उससे काग़ज़ बनाओ और बाँट दो
लोगों के बीच, ताकि वे
उस पर लिखते हुए अपने मसले
सुलझा सकें । पेड़ जितना बड़ा होगा
उतने ही ज़्यादा लोगों में बाँट पाओगे ।
जब वह मज़बूत हो
उसे काट डालो ।

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
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