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|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
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<Poem>
होमर का कोई घर न था
और दान्ते को उसके घर से भगाया गया ।
लि-पो और टू-फ़ू गृहयुद्धों के बीच भटकते रहे
जिनमें तीन करोड़ लोगों की जाने गईं
यूरिपाइड्स को मुक़दमों की धमकियाँ दी गईं
और मौत की दहलीज़ पर शेक्सपीयर की ज़ुबान बन्द कर दी गई
फ़्राँसोआ विल्लों के पास सिर्फ़ कलादेवी ही नहीं आई
बल्कि पुलिस भी
लुक्रेत्ज़ जिसे „प्रियतम“ कहा जाता था
उसे जलावतन किया गया
हाइने को भी और इसी तरह भागना पड़ा
ब्रेष्त को भी डेनमार्क की एक झोपड़ी में ।

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
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