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{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
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'''1'''

अच्छाई से क्या फ़ायदा
अगर अच्छों को मार गिराया जाए या उन्हें मार गिराया जाए
जिनके लिए वे अच्छे हैं ?

आज़ादी से क्या फ़ायदा
अगर आज़ाद लोगों को उनके बीच जीना पड़े जो आज़ाद नहीं हैं ?

तर्कशील होने से क्या फ़ायदा
अगर तर्कशील न होने से रोटी मिले, जो सबके लिए ज़रूरी है ?

'''2'''

अच्छा होने के बदले, कोशिश करो
ऐसे हालात बनें, जिनमें अच्छाई मुमकिन हो और उससे भी बड़ी बात :
उसकी ज़रूरत ही न रह जाए !

आज़ाद होने के बदले, कोशिश करो
ऐसे हालात बनें, जिनमें सभी आज़ाद हों
यहाँ तक कि आज़ादी से प्यार की भी
ज़रूरत न रह जाए !

तर्कशील होने के बदले, कोशिश करो
ऐसे हालात बनें, जिनमें किसी का तर्कशील न होना
घाटे का सौदा हो जाए !

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
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