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विलीन हो जाऊँ ऐसे / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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06:22, 19 मई 2022
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<poem>
बसे रहो सदा मेरी
्चेतना
चेतना
में
धरती में बीज की तरह,
अम्बर में प्रणव की तरह,
वीरबाला
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