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एक गर्भवती औरत के प्रति दो कविताएँ / ज्ञानेन्द्रपति
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|संग्रह=आँख हाथ बनते हुए / ज्ञानेन्द्रपति
}}
<Poem>
'''1
यह तुम्हारा उदर ब्रह्माण्ड हो गया है।
यह न हो वही कनखजूरा
पर हो जायेगा।
</Poem>
अनिल जनविजय
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