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हुड़क उठी दिन- रात है / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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08:17, 9 जून 2022
धड़कन -धड़कन तुम बसे, बन साँसों की साँस।
दूर कहाँ तुम जा सके, रहते हरदम पास।
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जनम- जनम की साधना, करके सौ -सौ बार।
मिला हमें अनमोल है, तेरा सच्चा प्यार।
</poem>
वीरबाला
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