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06:52, 18 जून 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरबिन्दर सिंह गिल
|अनुवादक=
|संग्रह=बर्लिन की दीवार / हरबिन्दर सिंह गिल
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<poem>
जब हमने ऊपर
एक आम पत्थर
और बर्लिन दीवार में
लगे पत्थरों का
समान्तर विश्लेषण किया है।
क्यों न अंत में
इन दोनों के गहन
व्यक्तित्व से
जीवन का
एक सहज अर्थ निकाल
मानवता की जिंदगी में
उसे सार्थक
करने का प्रयास करें।
हम देखेंगे
यह बर्लिन दीवार
मानवता के इतिहास में
एक मील पत्थर
साबित होगी।
जहाँ से
मानव और मानवता
एक नये
सफर पर चल पड़ेंगी
और रास्ते में
न आएगी
ऐसी कोई भी रूकावट
जैसी थी
यह बर्लिन दीवार।
</poem>