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वे बोलते हैं अब देह की भाषा में
थक ठक बहादुर माझी
अपनी भाषा को बोलने वाले अंतिम व्यक्ति थे
थक ठक बहादुर के साथ
दुनिया की एक भाषा भी चुपचाप चली गई
चला गया थोड़ा सा पहाड़