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घर का भेदी मूल / प्रेमलता त्रिपाठी
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19:24, 22 जून 2022
बढ़े चंद्र हो पूर्णिमा, घटे अमावस रात,
क्षीण मनस को जानिए,रहे सदा प्रतिकूल
बिखर कहे यह चाँदनी,निर्मल रखिए भाव,
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