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कैशियर / अन्द्रेय वज़निसेंस्की / श्रीकान्त वर्मा
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09:39, 7 जुलाई 2022
काउण्टरों पर, बिकते हैं जहाँ,
पनीर की रोटी,
तरबूज
तरबूज़
;तैर गई
आँसू
आंसू
और पाउडर की
एक अकस्मात गन्ध ।
तीखी थी
आँसू
आंसू
की गन्ध
उस टुच्ची भीड़ में ।
गुर्राया ऊपर उठ हवा में
उस गूँगे
दम्पत्ति
दम्पती
का हाथ ।
बेकन पकड़ अपनी मुट्ठी में
अनिल जनविजय
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