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कण्ठ की सुराही को / रामकुमार कृषक
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09:31, 8 जुलाई 2022
नलकों पर जुट आई प्यास
कूओं की
पेंदियाँ
पेन्दियाँ
उलीच,
अधुनातन घोर तप करे !
अनिल जनविजय
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