Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रति सक्सेना }} {{KKCatKavita}} <poem> समुद्र के स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रति सक्सेना
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
समुद्र के सपनों में मछलियाँ नहीं
सीप घौंघे, जलीय जीव जन्तु नहीं
किश्तियाँ और जहाज नहीं
जहाजों की मस्तूल नहीं
लहरों के उठना ,सिर पटकना नही
नदियाँ नहीं , उनकी मस्तियाँ नहीं
समुद्र सपने देखता है
जमीन का, उस पर चढे पहाडों का
उन सबका जिन्हें नदियाँ छोड
चलीं आईं थीं उस के पास
समुद्र के सपने में पानी नहीं होता
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits