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07:27, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
अबार थारी निजर धकै
कोई छिब नहीं
तौ कांई व्हियौ
आपरै मन री आरसी भाळ
सावळ हेर
अठै इज कठै व्हैला
वौ हिचकी रै ऊखळ सूं बंध्योड़ौ
उचांचळौ घणौ है
बैरूपिया री चूकती कळा है उण में
आंख्यां रौ काजळ चोर लेवै, अर ठाह नीं पाड़ै
इत्तौ डंयाळ है थारौ चित्तचोर
बाला प्रीत रो गुम्योड़ौ बालम
हाल बालपणै इज बिलमतौ व्हैला
इत्ती अळगी क्यूं जावै
भाळ आपरै गालां माथै बैवती
जमना रै कांठै
कजळायौ-सोक सांवळौ
आपरै गात सूं पांणी संूततौ व्हैला
सांवट ले पाछी
मगरमछ री तांत ज्यूं पसारयोड़ी
आकळ उडीक में आपरी दीठ
कोसां लग मारगियौ सूनौ
धकै उजाड़
उडीक मत
सावळ संभाळ
अठै इज कठै थारी टुकियां लारै
धड़कतौ लाधैला
ओळूं री कार भांग
कोई नीं जाय सकै सोरै सांस
राधा जीव में नेहचौ राख।
</poem>
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