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07:35, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
सगळा जांणै
कदास इण सारू आकबाक नीं व्है
अेक गोळमोळ दुनिया
जिकी आय जावै मतै ई गुड़कती
म्हारै बिचाळै
म्हैं चकन-बकन
वा इज देवै है उडीक री दवायती
औ जांणण में
म्हनै कित्ती जेज लागी
पण, लोग-बाग घणा पैली सूं उडीकता हा
कजांणा कांईं
अबै औ कुण तै करै
कै वै अर म्हैं
आपौ-आप री खाली-माली जरूरतां नीं उडीकै हा
वळै कीं दूजौ इज
अेक घांदौ वळै
औ दूजौ वळै कांई है?
</poem>
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