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07:36, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
}}
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<poem>
आवगी भासा सूं लांठौ है
थारौ संवाद
पण अबार म्हारै सांम्ही
खुल नै पसर्योड़ा नैनासाक कार्ड में समायोड़ी है
थारी सैमूदी बोलती काया
जिकी दिप-दिप कर जावै
बिल्लोरी काच जैड़ा निगोट
म्हारा विचार में
तेड़ घाल जावै।
</poem>
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