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08:15, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
थारै सारै है सिंवरणौ
निरवांण कोनीं
थारै सारै है उडीकणौ
आंण-जांण कोनीं
जूंण नै मत कसाय
नसाय-मोह नसाय।
</poem>
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