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08:47, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
कीकर उचारूं थारौ नांव
उणमें गूंज है अणूंती
नीं बोलूं कीं
तौ बोबड़ौ बाजूं
तो पछै ताळवा अर दांतां नै
होठ अर जीभ नै
किणी आछा दिन री आस झिलाय दूं
जिणसूं वै उडीकबौ करै
भासा
पण भासा में थूं कठै?
</poem>
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