713 bytes added,
09:14, 17 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
काया रै कोठलियै चापळियोड़ा
म्हारा चेता
क्यूं उडीकै-म्हारौ बावड़णौ
पाछौ घरां
वा नेह री धिरांणी
आपरै अंतस री आगळ उघाड़ै
तौ थारै आवूं
जांणै पाछौ पांखां बारै आवूं।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader