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आकीन / चंद्रप्रकाश देवल

3 bytes added, 09:26, 17 जुलाई 2022
छाय देवै सै कीं धूड़-धमासा सूं
चूकती पळपळाट यूं इज आथमै
रंां रंगां रै उगटणा री जात।
</poem>
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