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निर्भया / विशाखा मुलमुले

240 bytes added, 19:41, 24 जुलाई 2022
कुछ विकृत मानसिकताएँ इंसानियत का बलात्कार करती रही
दरिंदों , पिशाचों की श्रेणी में समाज को ढकेलती रही
 
यह सब देख ,
वह क्रोधित , झटपटाती हुई सुराख़ पाट चली
पुनर्जन्म का विचार सिरे से पुनः त्याग चली
</poem>
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