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00:19, 26 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=कृष्णकुमार `आशु'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
जद भी जांवतौ सै'र
ताकती रैंवती
मा री आंख्यां
बारणै कान्नी
म्हारै पाछो आवण तांई।
म्हनै लागतो
कै घर सूं बारै भी
म्हारो कित्तो
ध्यान राखै मा।
</poem>