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वसीयत / निकअलाय ज़बअलोत्स्की / अनिल जनविजय
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06:56, 2 अगस्त 2022
जीवन से सुन्दर और बेहतर दुनिया में कुछ नही है
क़ब्रों
का
में
ख़ामोश अन्धेरा, अवसाद औ ख़ामोशी है
यह जीवन बिता दिया मैंने, व्यग्र औ’ विकल क्षणों में
चहुँ ओर जीवन की हलचल, जीवन की मदहोशी है
अनिल जनविजय
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