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|रचनाकार= हैरॉल्ड पिंटर
|अनुवादक=अरुण कमल
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<poem>
वो आवाज़ कैसी थी ?

मैं मुड़ता हूँ, उस कमरे की ओर जो हिल रहा है ।

वो आवाज़ कैसी थी जो अन्धेरे से आई ?
कैसा है यह प्रकाश का भूलभुलैया जिसमें वह छोड़ती है हमें ?
यह कैसी मुद्रा है
हटने और फिर लौटने की ?
यह क्या सुना हमने ?

यह वही साँस थी, जो हमने ली थी, जब हम पहली बार मिले थे ।

सुन । यह यहीं है ।
</poem>
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