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22:00, 12 अगस्त 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=माया एंजलो
|अनुवादक=अरुण कमल
|संग्रह=
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<poem>
हाइवे भरा है बड़ी-बड़ी कारों से
जातीं कहीं नहीं तेज़
और लोग पी रहे हैं जो भी जले उसका धुआँ
कुछ लोग अपने झूठ कॉकटेल ग्लास के इर्द-गिर्द लपेटे हुए हैं
और तुम बैठे हो सोचते
किधर जाएँ —
मैं जानती हूँ ।
आओ । और मेरे शिशु बन जाओ ।
कुछ भविष्यवक्ता कहते हैं — ये दुनिया ख़त्म हो जाएगी कल
कुछ दूसरे कहते हैं — अभी एक दो हफ़्ते हैं अपने पास
अख़बार तो हर तरह की भयानक बातों से भरे हैं
और तुम बैठे हो सोचते
अब क्या करें ।
मैं जान गई ।
आओ, और मेरे शिशु बन जाओ ।
</poem>
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