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{{KKRachna
|रचनाकार=लिअनीद मर्तीनफ़
|अनुवादक= वरयाम सिंह
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<poem>
मुझे लगता है यह मेरा दूसरा जन्‍म है
मैं पहले भी कभी जिया हूँ ।
मेरा नाम हर्क्‍युलिस था ।
तीन हज़ार पाउण्ड था मेरा वजन
जड़ों समेत मैं उखाड़ देता था जंगल-के-जंगल
आसमान तक पहुँचते थे मेरे हाथ
बैठने पर मेरे वज़न से टूट जाती थी कुर्सियाँ --

फिर मेरा देहान्त हुआ ।
मैंने जन्म लिया दोबारा
सामान्‍य क़द और सामान्‍य वज़न
दूसरों की तरह मैं भी एक --
भला और प्रसन्‍न ।
अब मैं कुर्सियाँ नहीं तोड़ता
पर फिर भी मैं हूँ हर्क्‍युलिस ।

'''मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
</poem>
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