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09:54, 28 अगस्त 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शशिप्रकाश
|अनुवादक=
|संग्रह=कोहेकाफ़ पर संगीत-साधना / शशिप्रकाश
}}
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<poem>
विजित शिखर हैं
अविजित फिर भी
उन्नतशिर
उत्प्रेरण देते
आमन्त्रण देते
फिर-फिर आरोहण को ।
हम क्यों हारें ?
नए-नए अभियानों की
योजना बनाएँ ।
</poem>
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