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13:15, 4 सितम्बर 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शिवराज छंगाणी
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>
नैण थारै ई है
नैण म्हारै ई है
थूं
थारै नैणां सूं देखै
म्हूं
म्हारै नैणां सूं देखूं
नीं थारो म्हारै सूं रिस्तो
नीं म्हारो थारै सूं रिस्तो,
छेवट नैण ई पिछाणै नेह
नैण थारै ई है
नैण म्हारै ई है।</poem>