गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
क्लियोपाट्रा ... / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह
1 byte added
,
05:36, 6 सितम्बर 2022
न जीवित, न मृत ।
एक-दूसरे के कान में बिना रुके
कहे जा रहे हैं लज्जाजनक शब्द उसके विषय
में।
में ।
वह सुस्ता रही है टाँगें पसारे —
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,690
edits