गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
श्री दुर्गा चालीसा / चालीसा
8 bytes added
,
15:36, 18 सितम्बर 2022
<
poeM
poem
>
नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी .
निराकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी .
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर नारी.
प्रेम भक्ति से जो यश गावै, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे.
</poem>
Firstbot
बॉट
,
प्रशासक
,
सदस्य जाँच
,
प्रबंधक
,
widget editor
1,572
edits