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मेरे पुरखों के गांव में / वास्को पोपा / राजेश चन्द्र
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10:20, 25 सितम्बर 2022
मैं छूकर देखता हूँ उसके गालों को अपने हाथ से
और याचना करता हूँ आँखों ही आँखों में उससे
कि मुझे
बताये
बताए
क्या मैं जीवित हूँ अब भी
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद – राजेश चन्द्र'''
</poem>
अनिल जनविजय
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