गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मन रे पासि हरि के चरन / मीराबाई
No change in size
,
14:10, 8 अक्टूबर 2022
|रचनाकार=मीराबाई
}}
मन रे
पासि
परसि
हरि के चरन।
सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध - ज्वाला- हरन।
Arti Singh
344
edits