Changes

घूमेंगे-फिरेंगे, चूमेंगे और फिर बूढ़े हो जाएँगे
दिन, हफ़्ते, महीने गुज़रेंगे, सहजता से सर्वदा
हिम के फ़ायों से हलके होंगे सितारों की तरह, उड़ो। सितारों से उड़ेंगे बाक़ायदा।
मार्च 1914, पीटर्सबर्ग
'''मूल रूसी भाषा से अनूदित : अनिल जनविजय'''
 
'''लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
Анна Ахматова
Чернеет дорога приморского сада…
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits