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|रचनाकार=देवनीत
|अनुवादक=रुस्तम सिंह
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<poem>
मेरे घर के
मुख्य द्वार के पास
आपके लिए
डेलिए का फूल खिला है

साथ ही
घास का
हरा-कचूर मैदान

आगे कमरों में
कूड़ा-झूठ-चाल-कबाड़-
घृणा

आप आगे नहीं जा सकते
अब

मैंने सबको
घास में रखना सीख लिया है ।

'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : रुस्तम सिंह'''
</poem>
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