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कभी नहीं । नहीं, कभी नहीं ।
बल्कि, उन्हें मीठे बोल से, प्यार से अपने पास खींचो ।
बून्द बनाकर रख उन्हें छोटा बना दो अपने उपहारों के भार से ।
आत्म-विस्मृत
शब्दों के विकल्प मिलेंगे उन्हें ।
इसलिए,
तुम जो चाहते हो सुनना,
अमात्य तुम्हें वही सुनायेंगे सुनाएँगे
जो उस पर करते हैं शक़,
पहला व्यक्ति —
पुत्प्ररोदयादयः जातंत्र जातन्त्र ? प्रजातंत्र प्रजातन्त्र है तंत्र तन्त्र केवल,
प्रजा सिर्फ शोभा
जीवन दे सकती है,
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