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तुमने कहा था, ’जय होगी, जय होगी’ / शंख घोष / अनिल जनविजय
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14:26, 23 अक्टूबर 2022
स्वाभाविक ही
मेरे मन में उभर आते हैं
वे
भयावने
भयावह
दृश्य
व्यथित मन से मैं पी लेता हूँ वह तीखा ज़हर
जो पकड़ रखा था मैंने अपने हाथों में
अनिल जनविजय
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