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{{KKRachna
|रचनाकार=आदम ज़गायेवस्की
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इतने चंचल हैं दिन, इतने चमकदार
कि दुबली-नन्ही हथेलियाँ भी
ढँकी हुई हैं उपेक्षा की सफ़ेद धूल से

अँगूर के बग़ीचों में बहुत धीरे सरसराते हैं साँप
लेकिन शाम का समन्दर अँधेरे जितना गाढ़ा हो जाता है और
लटकता है सिर के ऊपर जैसे
सर्वश्रेष्ठ लिपियों में लटकते हैं विराम-चिह्न
बमुश्किल हिलती है समुद्री चिड़िया ।

शराब की एक बून्द उत्‍कीर्ण है तुम्हारे होंठों पर
चूने के पहाड़ धीमी गति से पिघलते हैं
क्षितिज पर और एक तारा उगता है ।

रात में चौराहे पर बेदाग़ सफ़ेद पोशाकों में नाविकों का एक ऑर्केस्ट्रा
बजाता है शस्ताकोविच का छोटा वाल्ट्ज़, छोटे बच्चे
रोते हैं जैसे कि वे समझ गए हों
यह ख़ुशदिल संगीत अन्तत: कहना क्या चाहता है ।

हम दुनिया के संदूक़ में बंद हो चुके हैं,
प्रेम हमें स्वतन्त्र करता है, समय हमारी हत्या ।


'''कम समयावधि का वाल्ट्ज़। अक्सर एक मिनट में समाप्त हो जाने वाला। शोपाँ ने इसकी शुरुआत की थी।'''


'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : गीत चतुर्वेदी'''
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