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15:22, 27 अक्टूबर 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=पाछो कुण आसी / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>ठिकाणो तो बो ई है
घर बो घर कोनी
जिको हो
जीसा !
नांव तो बो ई है
भाई बो भाई कोनी
जिको हो
जीसा !
घर जिण में थे हा जीसा।
भाई जिण में म्हैं हो जीसा।
ठाह ई कोनी पड़ी
कद कांई हुयग्यो।
जून घर नै दाब 'र ऊभो है नुंवो घर।
जीसा! थे बणायो
बो घर अबै कोनी।
भाई कैवै- घर है।
इसै घर बाबत
म्हैं कांई कैवूं जीसा?</Poem>