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{{KKRachna
|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=अशोक पाण्डे
|संग्रह=बीस प्रेम कविताएँ और उदासी का एक गीत / पाब्लो नेरूदा / अशोक पाण्डे
}}
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<poem>
मेरे दिल के वास्ते पर्याप्त है तुम्हारा सीना
और तुम्हारी आज़ादी के वास्ते मेरे पंख
वह जो सोया हुआ था तुम्हारी आत्मा पर,
मेरे मुँह के रास्ते उठता जाएगा स्वर्ग तलक ....

तुम में है हर दिन का भ्रम ।
तुम पहुँचती हो ओस की तरह बन्द पँखुड़ी वाले फूलों तक ।
अपनी अनुपस्थिति से तुम बना देती हो क्षितिज को अधूरा
लहर की तरह अनन्त उड़ान में ।

मैं कह चुका हूँ कि तुम गाती थीं हवा में
चीड़ की तरह और मस्तूलों की तरह
उन्हीं की तरह तुम हो ऊँचे क़द वाली और मितभाषी ।
और तुम उदास हो, सब कुछ एक साथ, एक लम्बी यात्रा की मानिन्द ।

पुरानी सड़क की तरह तुम इकट्ठा करती हो चीज़ें
अपने भीतर तुम अनुगूँजों की उदास ध्वनियों से भरी हुई हो
मैं जागा और कभी - कभी चिड़ियाँ उड़कर परदेस चली गईं
जो सो रही थीं तुम्हारी आत्मा में ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे'''
</poem>
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