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सच न बोलना / नागार्जुन
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07:45, 4 नवम्बर 2022
सपने में भी सच न बोलना, वर्ना पकड़े जाओगे,
भैया, लखनऊ-दिल्ली
पहुंचो
पहुँचो
, मेवा-मिसरी पाओगे !
माल मिलेगा रेत सको यदि गला मजूर-किसानों का,
हम मर-भुक्खों से क्या होगा, चरण गहो श्रीमानों का !
</poem>
अनिल जनविजय
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